बातों ही बातों में
न कहते हुए भी
बहुत कुछ कह गए
वो इशारे ही काफी थे
समझने के लिये
उस बात को
जिसे जुबान तक न आने दे रहे थे
कल मुझसे नज़रें मिला पाओ
उस खातिर
आज नज़रें झुका कर
चले गए
लेकिन वो झुकी नजरें
भी छुपा न पाई वो कहानी
जिसे बयां न करना चाह रहे थे तुम
न कहते हुए भी
बहुत कुछ कह गए
वो इशारे ही काफी थे
समझने के लिये
उस बात को
जिसे जुबान तक न आने दे रहे थे
कल मुझसे नज़रें मिला पाओ
उस खातिर
आज नज़रें झुका कर
चले गए
लेकिन वो झुकी नजरें
भी छुपा न पाई वो कहानी
जिसे बयां न करना चाह रहे थे तुम
1 comment:
luvly template!
i luvd your words and the way u wrote it. u take care and have fun.
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